दोस्तों, आज हम बात करने वाले हैं ये चार दुश्मन आपको बर्बाद कर देंगे 4 dushman jo apko barbad kar denge के बारे में।अगर हम कुछ वक्त तक 50 किलो के बैग को कंधो पर रखकर चल सके तो शायद यह मुमकिन है लेकिन यही बैग हमें पूरे दिन कधों पर लेकर चलना पडे तो क्या हम ऐसा कर सकते है? लगभग सभी का जवाब होगा, नहीं| मैं कहता हूं कि हम इससे भी ज्यादा वजन लेकर पूरे दिन फिरते है तो शायद आप इसे गलत समझेगे लेकिन यह सही है
आपने 3 इडियट मूवी तो देखी ही होगी जिससे एक विद्यार्थी अपनी पढाई को बोझ सहन न कर सकने की वजह से आत्महत्या कर लेता है इस पर आमीर खान कॉलेज के डायरेक्टर को बधाई देते हुए कहते है कि सर मुबारक हो पोस्टमार्टम मे हत्या की वजह फांसी से मरना आया है जबकि ये एक हत्या है क्योंकि वैज्ञानिकों ने ऐसी मशीन बनाई ही नहीं जिससे दिमाग पर पडने वाले बोझ को पता चल सके
कंधो पर पडने वाले बोझ को तो हम शायद बर्दाश्त कर भी लें लेकिन दिमाग पर पढने वाला बोझ बहुत ज्यादा वजनी होता है कई लोग इसे सहन भी नहीं कर पाते आज हम बात करने वाले हैंं ऐसी ही चार चीजों की जिसका सीधा असर दिमाग पर पडता है और ये चीजें जिन्हें हम दुश्मन भी कहें तो गलत नही होगा
इसके साथ ही हम बात करेंगे कि इन चार दुश्मनों से हम बच कैसे सकते हैं
अपराध बोध (Guilt) 4 dushman jo apko barbad kar denge
- अपराध बोध हमारी पुरानी जिंदगी यानि बीते हुए कल से जुडा होता है
- कई बार हमसे कोई गलती हो जाती है तो हम उसे सोच साेचकर मन ही मन खुद को बुरा कहते रहते हैं
- इसमें हमें यह पता होता है कि हमने कुछ गलत किया है
- हमे उस काम को करने से पहले भी पता होता है कि वह गलत है और बाद में पता होता है कि यह गलत है हम फिर भी उसे कर देते है
- जैसे – बिना तैयारी किसी परीक्षा में बैठ गये यह जानकर भी की हम अगर तैयारी नहीं की तो हम फेल हो जायेंगे
- ऐसे कई और उदाहरण हो सकते हैं
- आप कितना भी बुरा कह लो खुद को लेकिन जो आप कर चुके हो उसे बदल नहीं सकते
- यहां एक चीज हो सकती है खुद को बुरा समझने की बजाय अपनी गलती से सीख ली जाये कि हां मैने यह गलती की अब दोबारा ये गलती नहीं करूंगा
- अपने बीते हुए कल में जीने की जगह अपने आज जीना शुरू करो
डर (FEAR) 4 dushman jo apko barbad kar denge
- हर किसी इंसान में काेई न कोई डर जरूर होता है
- काेई पानी से डरता है काेई उंचाई से कोई सबके सामने बोलने से
- हमे ये डर निकालना होगा
- कर किसी डर को दूर करने का काेई न कोई तोड तो जरूर होता है
- अगर पानी में उतरने से डर लगता है तो कम पानी में उतरें और शुरू करे डर निकालना
- उंचाई से डर लगता है तो कम उंचाई से शुरूआत करे और डर निकालें
- सबके सामने बोलने से डर लगता है तो कम लोगों के सामने से बोलना शुरू करें और डर निकालें
उम्मीदे (Exprectation) 4 dushman jo apko barbad kar denge
- हम दूसरों से जरूरत से ज्यादा उम्मीदें पाल लेते है
- किसी से भी हद से ज्यादा उम्मीदें नहीं रखनी चाहिए थोडी उम्मीदें खुद से भी रखनी चाहिए
- उसने मेरा काॅल नहीं उठाया उसने मेरे मेसेज का जवाब नहीं दिया
- दूसरो से ज्यादा उम्मीदें रखने से सारी उम्मीदें तो पूरी नहीं होगी इसकी वजह से दिमाग पर जाेर पडेगा
- मैं ये नहीं कहूंगा कि उम्मीदें न रखे लेकिन ये उम्मीदें लिमिट में होनी चाहिए
अफसोस (Regret) 4 dushman jo apko barbad kar denge
- अपराध बोध और में फर्क है
- अपराध बोध में हमें यह पता होता है कि हम जो कर रहे हैं वो गलत है
- लेकिन अफसोस में ऐसा नहीं है
- कोई काम करते या न करते वक्त हमें यह मालूम नहीं होता कि ये गलत है या सही
- जैसे हम किसी एग्जाम की तैयारी कर रहे होते हैं किसी चैप्टटर को हम ये सोचकर छोड देते है कि इसे छोडो ये खास नहीं है और वही चैप्टर एग्जाम में आ जाता है तो हमे अफसोस होता है कि काश हमने ये चैप्टर पढ लिया हाेेता
- इसी तरह आपको कोई जॉब मिल रही थी या कोई बिजनेस आपके ध्यान में था आपने शुरू नहीं किया बाद में आपको लगा के काश में ये जॉब या बिजेनस शुरू कर लेता ये अफसोस कहलाता है
- हमारा हर निर्णय सही नहीं हो सकता इसलिए अफसोस तो होता ही है
- इससे बचने के लिए आपको समझदारी से निर्णय लेने चाहिए
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