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पानी पुरी दिवस | Pani puri day

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Pani Puri Day – गूगल के होम-पेज पर आज एक पानी पूरी डूडल दिख रहा है। पानी पुरी को आज कौन नहीं जानता। ये बात अलग है कि पानीपुरी को अलग-अलग जगह अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे – गोलगप्पा, पानीपुरी, फुल्की, गुपचुप, पानी के बताशे या पुचका आदि । पानीपुरी का टेस्ट ऐसा होता है कि नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है।

पानीपुरी भारत मेंं काफी पसंद किया जाने वाला स्ट्रीट फूड है। पानीपुरी का जो पानी होता है,उसका टेस्ट लाजवाब होता है। पानीपुरी, आलू चने के साथ हो या आलू मटर के साथ, या फिर तीखी-मिठी चटनी के साथ स्वादिष्ट होता है। वैसे तो इसे हर कोई बड़े ही चाव से खाता है लेकिन औरतों को पानीपुरी का शौक ज्यादा होता है।

विवरण

  • नाम – पानी पुरी दिवस Pani puri day
  • शुरुआत कब हुई – 2015 में
  • कब मनाते है – 12 जुलाई

पानी पुरी दिवस Pani puri day कब मनाया जाता है?

  • पानी पुरी दिवस Pani puri day 12 जुलाई को मनाया जाता है

पानी पुरी दिवस Pani puri day की शुरूआत कब हुई?

  • पानी पूरी का शाब्दिक अर्थ है “पानी की रोटी”
  • पानी पुरी भारत के पसंदीदा व्यंजनों में से एक है।
  • मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत में पानी पुरी बाजार का करीब 6,000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा है।
  • साल 2015 में 12 जुलाई को इंदौर में पानी पूरी से जुड़ा एक वर्ल्ड रिकॉर्ड बना था।
  • इंदौर के एक रेस्तरां ने 51 फ्लेवर की पानी पूरी पेश करके रिकॉर्ड बनाया था।

पानी पुरी दिवस Pani puri day का इतिहास

  • पौराणिक कथा के अनुसार पानी पूरी की शुरुआत महाभारत काल हुई।
  • पहली बार द्रौपदी ने पांडवों के लिए पानीपुरी बनाई थी।
  • कहानी है कि जब पांडवों से शादी के बाद द्रौपदी अपने ससुराल पहुंची तो पांडवों की मां कुंती ने बहू द्रौपदी की परीक्षा लेने की सोची।
  • उस वक्त पांडवों का वनवास चल रहा था और घर पर ज्यादा कुछ खाने को भी नहीं था।
  • कुंती देखना चाहती थीं कि उनकी बहू किस तरह अच्छे से घर संभाल सकती हैं।
  • एक दिन की बात है कि कुंती ने द्रौपदी को कुछ बचे हुए आलू, थोड़ा आटा और मसाले देते हुए कुछ स्वादिष्ट बनाने को कहा।
  • कुछ ऐसा जिससे पांडवों का पेट भर जाए और स्वाद भी आ जाए।
  • द्रौपदी ने इसी आटे की पूरी बनाई।
  • उसमें आलू और तीखा पानी भरकर पांचों पांडवों के सामने परोसा।
  • पानी पूरी खाकर पांडव खुश हो गए।
  • उन्हें यह व्यंजन पसंद भी आया और उनका पेट भी भर गया।
  • इससे कुंती भी काफी प्रसन्न हो गईं।
  • माना जाता है यहीं से पानी पूरी बनाने की शुरुआत हुई।

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