जमील अत्तारी

समाज, सभ्य जो हो गया है

समाज, सभ्य जो हो गया है

तन ढकने को कपडे़ न थे फिर भी लोग तन ढकने का प्रयास करते थे।

समय पुराना था...

आज कपड़ों के भण्डार है फिर भी तन दिखाने का प्रयास करते हैं।

समाज सभ्य जो हो गया है।

घर की बेटी पूरे गांव की बेटी होती थी।

समय पुराना था...

आज बेटी पड़ोसी से ही असुरक्षित है।

समाज सभ्य जो हो गया है।

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लोग नगर-मोहल्ले के बुजुर्गों के हालचाल पूछते थे।

समय पुराना था...

आज मां-बाप तक को वृद्धाश्रम में ढाल देते हैं।

समाज सभ्य जो हो गया है।

आवागमन के साधन कम थे फिर भी लोग परिजनों से मिला करते थे।

समय पुराना था...

आज आवागमन के साधनों की भरमार है फिर भी लोग न मिलने के बहाने बनाते हैं।

समाज सभ्य जो हो गया है।

खिलौनो की कमी थी फिर भी मोहल्ले भर के बच्चों के साथ खेला करते थे।

समय पुराना था...

आज खिलौनो की भरमार है पर बच्चे मोबाइल की जकड़ में बंद हैं।

समाज सभ्य जो हो गया है।

गली-मोहल्ले के पशुओं तक को रोटी दी जाती थी।

समय पुराना था...

आज पड़ौसी के बच्चे भी भूखे सो जाते हैं।

समाज सभ्य जो हो गया है।

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