जमील अत्तारी

कभी किसी को जज नहीं करना चाहिए

एक समय की बात है एक संत व्यक्ति प्रातः काल भ्रमण हेतु समुद्र के तट पर पहुंचे।

हां पर उन्होंने एक पुरूष को देखा जो कि इस स्त्री की गोद में सर रखकर सोया हुआ था।

उस पुरूष के पास में शराब की खाली बोतल पड़ी हुई थी, ब्यक्ति बहुत दुखी हुआ।

संत ने विचार किया कि ये मनुष्य कितना तामसिक और विलासी है, जो प्रातः काल शराब सेवन करके स्त्री की गोद में सर रखकर प्रेमालाप कर रहा है।

थोड़ी देर बाद समुद्र से बचाओ-बचाओ की आवाज आई।

संत व्यक्ति ने देखा कि एक मनुष्य समुद्र में डूब रहा है मगर स्वयं तैरना नहीं आने के कारण संत व्यक्ति देखते रहने के अलावा कुछ नहीं कर सकते थे।

स्त्री की गोद में सिर रखकर सोया हुआ व्यक्ति उठा और डूबने वाले को बचाने हेतु पानी में कूद गया।

थोड़ी देर में उसने डूबने वाले व्यक्ति को बचा लिया और किनारे ले आया।

संत व्यक्ति विचार में पड़ गया कि उस व्यक्ति को बुरा कहे या भला।

संत उसके पास गये और बोले-भाई तुम कौन हो और यहां क्या कर रहे हो?

कई दिनों की यात्रा से में थका हुआ था और भोर के सुहावने वातावरण में यहां पानी पीकर थकान कम करने मां की गोद मे सिर रखकर सो गया।

मैं एक मछुआरा हूं मछली पकड़ने का काम करता हूं, आज कई दिनो से मछली पकड़कर प्रातः यहां लौटा हूं।

मेरी मां मुझे लेने आई थी और साथ में घर में कोई दूसरा बर्तन नहीं होने पर इस मदिरा की बोतल में पानी ले आई।

संत व्यक्ति की आंखो में आंसु आ गये कि मै कैसा पातक मनुष्य हूं जो देखा उसके बारे में गलत विचार किया जबकि वास्तविकता अलग थी।

कई बार हम जो देखते हैं वास्तव में चीजें वैसी नहीं होती, उसका दूसरा पहलु भी हो सकता है।

मैं आपसे सिर्फ 3 चीजें चाहता हूं, उम्मीद है आप इनमें से 2 चीजें जरूर करोगे।